स्वतंत्रता के अधिकार के तहत आज हर व्यक्ति स्वतंत्र होते हुए अपना जनप्रतिनिधि स्वयं चुनता है। परंतु आज के समय में देखने में आ रहा है कि वह जिस व्यक्ति को चुनता है, उसके बाद खुद को ठगा सा महसूस करता है।
अक्सर ऐसा होता है कि हम उन व्यक्तियों को वोट दे देते हैं जिनकी नीयत साफ नहीं होती। यह सच है कि बड़ी-बड़ी पार्टियों के प्रभाव में आकर हम कभी-कभी सही उम्मीदवार को नजरअंदाज कर देते हैं और गलत व्यक्ति को चुनने में भूमिका निभाते हैं।
आपका एक सुझाव कि हमें वोट उस व्यक्ति को देना चाहिए, जो समय पर जनता के कार्य करे और सम्मानपूर्वक व्यवहार करे, बिल्कुल उचित है। जिस व्यक्ति का चरित्र सही हो और जो कम स्वार्थी हो, वही एक बेहतर जनप्रतिनिधि बन सकता है। भले ही आजकल पूरी तरह से ईमानदार नेता मिलना मुश्किल हो, फिर भी हमें उन नेताओं को प्राथमिकता देनी चाहिए, जो समाज और जनता के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझते हैं और निजी स्वार्थ से ऊपर उठकर काम करते हैं।
समाजसेवी अरुणेश सिंह भदोरिया जी के विचारों से यह संदेश मिलता है कि हमें किसी पार्टी विशेष की बजाय व्यक्तिगत चरित्र और कार्यों पर ध्यान देना चाहिए। इससे हम एक बेहतर और सक्षम नेता का चयन कर सकेंगे, जो वास्तव में समाज के विकास में योगदान दे सके। सही जनप्रतिनिधि का चयन ही लोकतंत्र की सच्ची शक्ति है, और यह हमारे अधिकार के साथ-साथ हमारी जिम्मेदारी भी है।